tag:blogger.com,1999:blog-3729744478564191062024-03-18T22:42:21.306-07:00नवीन की रायनवीन रायhttp://www.blogger.com/profile/17776971605715086575noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-372974447856419106.post-85780164902099503812017-03-30T06:26:00.000-07:002017-03-30T07:09:38.119-07:00वो वोटर नहीं तो, उनकी बात नहीं....<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal" style="background: white;">
<span lang="HI" style="font-family: "arial unicode ms" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "arial unicode ms" , sans-serif; font-size: 10pt; line-height: 115%;">हम भारतीय आजादी की सत्तरवी वर्षगांठ मनाने की
तरफ बढ़ रहे है, लेकिन हकीकत में हम तमाम तरह की कुरीतियों से आजादी पाने में हम
अब भी विफल रहे है जिसका कारण हमारा लापरवाह और शिथिलता पूर्ण रवैया रहा है। हम
आजाद भले ही हो गये हो परंतु हमारे राष्ट्र की बुनियाद मासुम बच्चे अनवरत कुपोषण,
अशिक्षा, मानव तस्करी के गहरे दलदल में फंसते जा रहे है । विश्व बैंक के आकड़ों के
मुताबिक भारत में लगभग 70</span>%<span lang="HI" style="font-family: "arial unicode ms" , sans-serif; font-size: 10pt; line-height: 115%;">
बच्चे रक्तालाप संबंधित बीमारियों से पीड़ित है। हर तीसरे में से एक बच्चा अल्प
भार से ग्रसित है और इस सबका कारण कुपोषण है । बाल शिक्षा की तरफ ध्यान तो शायद ही
सरकारों का जाता है कारणश अधिकांश बच्चे स्कूल जाने के इतर भीख मांगने , मजदूरी
करने की ओर रुख कर लेते है। बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के
कन्वेंशन के अनुच्छेद 24(2) के अनुसार राज्य सरकारों को कुपोषण एंव अन्य रोगों से
बचाने एंव स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्धता का निर्देश दिया गया था
लेकिन सरकार का शैशव तथा अनुत्तरदायी रुख स्थिति को भयावह बनाता जा रहा है। महिला
एंव बाल कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में कुल 19,223 महिलाओं
और बच्चों की तस्करी की गई। हाल ही में भारत के 5 राज्यों में चुनाव संपन्न हुए
किसी भी एक रैली में बाल शिक्षा, बाल मजदूरी संबंधी एक भी घोषणा नहीं की गई। सवाल
यह है कि लोकतंत्र के इस विशाल पर्व में बच्चों पर अमूमन ध्यान इसलिए नहीं जाता
क्योंकि वे वोटर नहीं है </span>?<span lang="HI" style="font-family: "arial unicode ms" , sans-serif; font-size: 10pt; line-height: 115%;">
चुनावी आपाधापी में हम अपने ही बच्चों का हाशिए पर रखते जा रहे है जो कल के
नवनिर्मित राष्ट्र की बुनियाद बनेगें</span>?<span lang="HI" style="font-family: "arial unicode ms" , sans-serif; font-size: 10pt; line-height: 115%;"> नरसिंह राव के शासनकाल में
देश ने ऐसे संलेख पर हस्ताक्षर किए जिसमें 18 वर्ष की आयु तक अनिवार्य
शिक्षा और बाल श्रम से मुक्ति की बात कही गई थी पर यह अब तक संभव नहीं हो पाया।
स्मार्ट सिटी बनाने में कोई हर्ज नहीं है पर पहले राष्ट्र का आधार मजबुत किया जाना
चाहिए प्राथमिक शिक्षा पर जोर देना चाहिए गांव के स्कूल, विद्यालय कम रसोईघर
ज्यादा बन गये है । राजनीतिक एजेंडे में बच्चों का रखा जाना अति आवश्यक है । </span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: "arial unicode ms" , "sans-serif"; font-size: 10.0pt; line-height: 115%;">
</span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhbr4NBQay7k71lzmjavHpkwba7SLXRfDtrFEJ1ypnVVNkopVLsFoxLly9onP3zy6Bk6ynJcUz-34nKS_gjG3YNKC9-bqEJJ-jW8Yed9XfbfNYhY5oSQyuyY7yhvJ5MX5HZGhfcYj-6pRbF/s1600/young_girl_20080124.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="231" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhbr4NBQay7k71lzmjavHpkwba7SLXRfDtrFEJ1ypnVVNkopVLsFoxLly9onP3zy6Bk6ynJcUz-34nKS_gjG3YNKC9-bqEJJ-jW8Yed9XfbfNYhY5oSQyuyY7yhvJ5MX5HZGhfcYj-6pRbF/s320/young_girl_20080124.jpg" width="320" /></a></div>
<o:p></o:p><br />
<div class="MsoNormal">
<o:p></o:p></div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
</div>
नवीन रायhttp://www.blogger.com/profile/17776971605715086575noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-372974447856419106.post-63576182773729862022016-10-11T01:01:00.000-07:002016-10-11T01:41:21.950-07:00ओन्ली फेयर इस लवली इन इंडिया <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="background: white; font-family: "mangal"; font-size: 9.5pt; line-height: 115%;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="background: white; font-family: "mangal"; font-size: 9.5pt; line-height: 115%;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="background: white; font-family: "mangal"; font-size: 9.5pt; line-height: 115%;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="background: white; font-family: "mangal"; font-size: 9.5pt; line-height: 115%;">हाल ही में </span><span class="apple-converted-space"><span lang="HI" style="background: white; font-family: "mangal"; font-size: 9.5pt; line-height: 115%;">फिल्म कलाकार </span></span><span class="apple-converted-space"><span style="background: white; font-family: "arial" , sans-serif; font-size: 9.5pt; line-height: 115%;"> </span></span><span lang="HI" style="background: white; font-family: "mangal"; font-size: 9.5pt; line-height: 115%;">तनिष्ठा चटर्जी
के रंग का कथित तौर पर मजाक उड़ाया गया ये एक भद्दा किस्म का मजाक था, जो इस ओर
इंगित करता है कि भारत जैसे देश में जहाँ ‘विविधता में एकता’ की बड़ी मुखरता
से बात की जाती है वो देश रंग भेद की ओछी मानसिकता से बाहर नही निकल पाया है तनिष्ठा
चटर्जी पर ऐसी टिपण्णी तो छोटी सी बानगी भर है | इसी वर्ष मई में कांगो गणराज्य के
</span><span lang="HI" style="background: white; font-family: "times new roman" , serif; font-size: 9.5pt; line-height: 115%;">“</span><span lang="HI" style="background: white; font-family: "mangal"; font-size: 9.5pt; line-height: 115%;">मसोंदा केतंदा ओलिवर</span><span lang="HI" style="background: white; font-family: "times new roman" , serif; font-size: 9.5pt; line-height: 115%;">”</span><span lang="HI" style="background: white; font-family: "mangal"; font-size: 9.5pt; line-height: 115%;"> नमक शख्स की दिल्ली में इसलिए लोगों ने
निर्मम हत्या कर दी क्यूंकि वो अश्वेत था|तंज़ानिया के छात्र पर बैंगलोर में हमला
और अन्य शर्मनाक घटनाएं शर्मनाक है| भारत
विश्व भर के सर्वाधिक नस्लीय हिंसा और टिप्पणी वालें देशों की सूची में शीर्ष 10
देशों में शुमार है और ऐसी घटनाएँ भारत को इस फेहरिस्त और आगे खड़ी करती जा रही है|
और इस बड़ी विडम्बना ये है की हमारी काले रंग के प्रति बीमार नजरिया ही व्यापार को
बढ़ावा दे रहा है फ़ेयर एंड लवली,फ़ेयर एंड हैंड्सम आपको 15 -20 दिन में श्वेत बनाने
का दावा कर आपको ठग रही है| सवाल यह है कि हमारी सारी परोपकार, अतिथि देवो भवः की
परम्परा कहाँ खोती जा रही है ? तनिष्ठा चटर्जी के रंग का मजाक बनाये जाने का दूसरा
पहलू यह है कि भारतीय टीवी कार्यक्रम सामग्री संकट से जूझ रहें हैं| साधारण
शिक्षाप्रद और सादगी भरे कार्यक्रम विलुप्त हो रहे है और पश्चिमी देश की तर्ज़
पर अश्लीलता और बद्दापन परोसा जा रहा है|
क्या अब भारतीय साहित्य और उदारवाद मर रहा है?भारत संवेदनशील न होकर संवेदनहीन हो
चला है? इन सब सवालों का जवाब नही तलाशा गया तो विश्व पटल पर भारत की छवि धूमिल हो
जायेगी| </span></div>
</div>
नवीन रायhttp://www.blogger.com/profile/17776971605715086575noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-372974447856419106.post-7326666608164108482016-10-10T04:02:00.001-07:002016-10-10T04:02:24.867-07:00आधुनिक राष्ट्रवाद<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #111111; font-family: hind, sans-serif; font-size: 16px;">शायद मैं लिखने व बोलेन के लिए आज़ाद हूँ अब लिखने के बाद मै गलियों से सम्मानित किया जाऊंगा या सिर्फ सराहा जाऊंगा ये मेरे लिखने के बाद पढने वाले राष्ट्रावादी और उनकी टोली तय करेगी इस लेख को लिखने से पहले ही मैंने शायद शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया क्योंकि ये कुंठा ग्रसित शब्द(गलियां) ही अभिव्यक्ति की आज़ादी का दायरा सीमित कर देते है| पिछले कुछ दिनों से जो भी हो रहा है उसने मेरे लिए “राष्ट्रवाद” शब्द का व्याकरण गणित भूगोल और परिभाषा सब कुछ बदल दिया अब मेरे लिए राष्ट्रवाद एक बीमारी है, इसका कोई इलाज़ नही है| फ़र्ज़ कीजिए कि आप आधुनिक राष्ट्रवादी है तब तो आपका सीना 56 इंच का होगा ये आपके आधुनिक राष्ट्रवादी होने का मानक है और अगर आप आधुनिक राष्ट्रवादी है और मौजूदा सरकार से सर्टिफाइड है तो आप शत (100) प्रतिशत गौरक्षक होंगे 200% अल्पसंख्यक भंजक होंगे और आपके गौरक्षा की शैली सनी देओल के “गदर” फिल्म के हैंडपंप उखाड़ने वाले दृश्य से भी ज्यादा टिकाऊ और उर्जावान होगी| और अगर आप पुराने खय्लात के पटेल,नेहरु,भगत सिंह के विचारों वाले राष्ट्रावादी है तो आपके अस्मिता और विवेक को तथाकथित आधुनिक राष्ट्रावादी ऐसे लूटेंगे जैसे 90 के दशक में मिथुन चक्रवर्ती के हर फिल्म में उनके परिवार की किसी महिला की लुटी जाती थी| पर आप मिथुन नही है कि शेरा,टाइगर बनकर बदला ले सके आप आज के अलीगढ के मनोज वाजपेयी है रोयेंगे,तिमिर का कम्बल ओढ़ कर खुद चुप हो जायंगे शायद मौत को भी गले लगा लें फिर मंत्रालय द्वारा गठित आयोग आपकी देशभक्ति से लेकर आपकी जाति तक तय कर देगा |</span></div>
नवीन रायhttp://www.blogger.com/profile/17776971605715086575noreply@blogger.com0